भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

न आया वह / केदारनाथ अग्रवाल

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:48, 20 मार्च 2008 का अवतरण (new)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

न आया वह

जिसे आना था मेरे पास

फूल का गुलदस्ता भेंट के लिए

खोल दिया था जिसके अस्तित्व के लिए
मैंने अपना अस्तित्व