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जो लो मन पाखंड में भूला / संत जूड़ीराम
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जो लो मन पाखंड में भूला।
तो लग नहिं विश्राम जीव को काल कर्म समतूला।
टोपी तिलक माल उर पहरी बृम ग्यान नहिं झूला।
भगत विहीन मीन ज्यौं जल बिन-बिन सुगंध के फूला।
दोरत फिरत चहूंदिस ब्याकुल राम नाम बिन लूला।
भजन गुमान सान काया में मन के मिटे न सूला।
खट दरसन पाखंड छियानवे इन पारी डूला।
जूड़ीराम नाम चीन्हें बिनको दुलहन को दूला।