Last modified on 29 जुलाई 2016, at 00:57

सुरत समार शबद घर खेलो / संत जूड़ीराम

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:57, 29 जुलाई 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संत जूड़ीराम |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

सुरत समार शबद घर खेलो।
नातर बहो जात भौसागर जीव गयो जमलोक अकेलो।
भाव अनक दांव सब खेलत कर्म सुकर्म बाँध जस मेलो।
हों मैं खलक झलख सब मों कर विवेक गति बाहर मेलो।
वाद-विवाद दूर कर राखो जूड़ीराम गुरु ज्ञान सगेलो।