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भूलन परी मर्म की भारी / संत जूड़ीराम

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भूलन परी मर्म की भारी।
बिन देखे विशेष नहिं आबे मारग थाको राह उजारी।
जो मन मालमस्त तन हीतै जागे नहीं जगावत हारी।
उरझो आप जगत उरझायो आद अंत लो मत विस्तारी।
प्रतमा पूज जूझ में अटको भटक फिरो नहिं कीन चिन्हारी।
जूड़ीराम नाम बिन जाने खाने चार चलों तनहारी।