भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
भांगटोॅ लागलै / रौशन काश्यपायन
Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:35, 29 जुलाई 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रौशन काश्यपायन |अनुवादक= }} {{KKCatAngikaRach...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
अंघड़-बोहोॅ हसी रहलोॅ छै
धरती आय घसी रहलोॅ छै
पूछै छै आपन्है मनोॅ सें
कि कौनें लुटी लेली लेलकै हमरोॅ मुकुट?
खोजोॅ राम
छौ कन्नें तोर्होॅ
ऊ हरियैलोॅ-भरियैलोॅ चित्रकूट ?