भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हौ एत्तेक बात छौड़ा पलटन सुनैय / मैथिली लोकगीत
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:23, 10 अगस्त 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=मैथिली |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह=सलहे...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
हौ एत्तेक बात छौड़ा पलटन सुनैय
खड़े हौ डाँट पलटनियाँ डँटेय
भागि जो भागि जो छौड़ा करिकन्हा
प्रेम के चंडाल बौआ राजा लगै छै
सात सय बन्हुआँ नित बन्है छै
जइ दिन सात सय बन्हुआ नइ पुड़ै छै
सवा घड़ी जेलमे रहै छै
तब अन्न्जल करै छै
आ जान नइ बचतौ आइ तीसीपुर बंगालमे बौआ रौ।
हौ एत्तेक बात छौड़ा पलटन बोलैय
तरबा लहर मँगज पर चढ़ैलय
जुमि गेल करिकन्हा ड्योढ़ी परमे
ताबे जवाब पलटनियाँ के दै छै
खबरि जना दे राजा के।
जान के काज राजा के लगै छह
जतेक अगुआ महिसौथा एलै
सभके बान्ह बौआ खोलि दीयौ
तब जान बौआ तोरा जब छोड़ि देबौ रौ।।