मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
हौ भागल दुर्गा महिसौथा के चललै
आ घड़ी चलै छै पहर बीतै छै
पवन रूपमे दुर्गा भगलै
सन सन सन सन दुर्गा बीतलै
हा पले घड़ीमे महिसौथामे जुमि गेलै
सुतल छै गै साँमैर रानी पलंग पर
हा तहि के बेरमे दुर्गा घरमे जुमि गेलै गै।
हौ हाक लगा के दुर्गा कहै छै
सुन गे बेटी साँमेर सुनिलय
अगुआ के भेजलय तीसीपुरमे
सभ के मार तीसीपुरमे लगौलय
अपने रनीयाँ गै कोहबर सुतलय
केना कऽ कोहबरबा घरमे सुति रहलय गै।
से जल्दी गै नींन कोहबरमे साँमैर तोड़ियौ-2 गै