मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
हौ एतबे वचनियाँ हौ चुहरा कहलक
हा भाठामे पानि भट्ठे सुखौलकै
सिरा पानि आइ सिरे सुखौलकै
सुखले गंगा चुहर पार करीयै
भागि कऽ आर चुहरा मोकमामे चलि जाइये यौ।।
हौ हकन मैया गंगा जी कनै छै
सुन रौ बेइमनमा डाकू चुहरा
जहिना हमरा चुहरा ठकलय
जते समान चोरी कऽकऽ लौलही
एकहु समान तोरा भोग नइ हेतौ
एकोटा समान आइ अभोगबा तोरा भऽ जेतौ रौ।।