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यौ सात सय पलटन ड्योढ़ीमे खटैय / मैथिली लोकगीत

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मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

यौ सात सय पलटन ड्योढ़ीमे खटैय
तबे राजा कोन काम करै छै
एका एकी पलटन के पूछैय
रौ केकरा पारमे चोरी भऽ गेल
सब पलटनियाँ राजा के कहै छै
हमरा पारमे नै चोरी भेलै
हमरा पारमे आय चोरी नै मालिक भयलै यौ।।
तब रहलै दादा नरूपिया
ड्योढ़ी परमे बजाहटि भऽ गेल
मने मन हौ नरूपिया सोचैय
छीयै सतयुग कलयुग अबैय
केना झूठ ड्योढ़ीमे बजबै
हँहु के जवाब नै दैये
डाँटि-डाँटि राजा ड्योढ़ीमे पूछै छै
सुनऽ सुनऽ हौ देवता नरूपिया
तोरा कहै छी दिल के वार्त्ता
चुहरा हौ नौकरी खारिज केलीयै
चुहरा हौ पार पहरा करै छल
चोरी भऽ गेलै कोहबर घरमे
तेकर हलतिया तू हमरा कहि दे
केकरा पारमे चोरी देवता भऽ गेलै यौ।
हौ एत्तेक बात कुलहेसर राजा कहैय
सुधे सुध नरूपिया कहै छै
सुनऽ सुनऽ हौ राजा दरबी
दिल के वार्त्ता हमरा सुनियौ
पैछली राति करनीनीयाँ बेरमे
हमर पार मालिक तखनी भेलै
ठीके चोरी हमरा पारमे भऽ गेल
हमरा पारमे मालिक ठीके चोरी भऽ गेलै यौ।।
हौ एत्तेक बात जखनी देवता बोलै छै
कड़ा सवाल कुलहेसर देलकै
सब पलटन के ऑडर दै छै
रौ सुन ले पलटनियाँ दिल के वार्त्ता
चाँप चढ़ा कऽ देवता के बन्हियौ
चाँप चढ़ा कऽ एकरा बान्हिकऽ
हाजत घरमे आइ तऽ चोरबा के दऽ दियौ यौ।।