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तब हौ जबाब मलीनियाँ दै छै / मैथिली लोकगीत

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मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

तब हौ जबाब मलीनियाँ दै छै
सुनिलय सुनिलय नटबा भैया
हौ सभ से जेठ के भाइ लगै छह
तेकरे से शादी हमहुँ करबै
छबो भाइ भौजइया हेबै
मन के ललिसबा पूरा करबऽ
रंग रभसबा सिरकामे करीहऽ
सातो भाइ के आय मोकबला पूरा भऽ जेतऽ हौ।
हौ एत्ते बात जे बोलै मलीनियाँ
झगड़ा आपस नटबा के छुटि गेल
जेठका नटबा सुनै छेलै
अपना सिरका अलग केलकै
तइ सिरकामे जुमल मलीनियाँ
संज्ञा पड़लै साँझे पड़ि गेल
सिरका घरमे मालीन जुमलै
मनचित भैंसा खूंटि ने देलकै
अधरतिया बूढ़वा नटबा
सुनऽ सुनऽ नटिन दिल के वार्त्ता
गै हमरा सिरका दिवस बीतौले
मन के लिलसा पूरा कऽ दे
जे जे हेतै से से देबौ
जे मन तोरा सिरकीमे हेतै
सब ललिसा तोरा की पूरा देबौ गै।।