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हौ भागल नटिनियाँ महलियामे जाइ छै / मैथिली लोकगीत

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मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

हौ भागल नटिनियाँ महलियामे जाइ छै
सात रानी के गोदना गोदै छै
बीचमे नाम चुहरा के लिखैय
छौड़ी नटिनियाँ महलमे गयलै
जादू के किया महलमे बनऽबै छै
जादू के मसीहान बनौलकै
जहर के सूइया नटिनियाँ बनौलकै
सातो के रानी गोदना गोदि दैये
लहर उठि छै सातो रानी के
बाप-बाप रानी कनै छै
जहरा सूइया सातो रानी कऽ देलकै
जादू के सूइया रानी के भींगै छै।
बाप बाप तऽ रानी कनै छै
तबे जवाब सातो रानी दइये
सुन गे नटिनियाँ दिल के वार्त्ता
बहुत सुन्दर नटिनियाँ गोद ले
जल्दी गे गोदना हमरा झाड़ि दे
गोदना लहरिया नटिनियाँ हमरा झाड़ि दे गै।।
हौ एत्तेक बात मेचीया रानी कहैय
तबे जबाब हौ नटिनियाँ दै छै
सुनलय रानी दिल के वार्त्ता
गोदना गोदाइ हमरा जाबे नै दयबे
ताबे नै गोदना हमहुँ झाड़बै
राजा के बाजाहटि भऽ गेलै
चाँर चुहरमल महलमे गेलै
चाँर चुहरमल नटिन के कहै
गै सातो रानी के गोदना झाड़ि दे
सुइया लहरिया रानी के झड़तै
पूरा इनाम हम नटनियाँ तोरा दऽ देबौ गै
एत्ते बात बाबू चुहर बोलैय
तबे जवाब आय नटिनियाँ दै छै
सुनऽ सुन हौ डाकू चुहर
दिल के बात हम तोरा कहै छी
हौ कते गोदना हम गोदै छी
मँुहमाँगा इनाम नै दै छै
पहिने सत तू हमरा कऽ दे
तब इनाम चुहरा तोरा से हम माँगबौ रौऽऽ।
सुरति हौ देखि के छौड़ी नटिन के
चुहर डाकू लोभा ने गेलै
आगू ने पाछु ने चुहरा सोचै छै
सत करै छै नटिन के संगमे।
छौड़ी नटनियाँ मुस्की हँसी हँसैय
मने मन गारि पढ़ै छै
चोर-मोट हाजिर तोरा कऽ दै।
एको समान तोरा भोगऽ नै देबै रौ।
तबे जवाब मलीनियाँ दै छै
जते समान पकरिया से लबिले
सब समान हाजिर करियौ
गोदना गोदाइ हम ओएहे लेबै
नइ लेबै अन्न धन सोनमा
गोदना गोदाइ हम ओएहे लेबै
गै बड़ी कठिन से चोरी केलीयै
सेहों समान तहुँ केना लऽ लेलही
जुलुम बीतलै मोकमागढ़मे
केना समान तहुँ माँगले।