भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हाय नारायण जुलुम बीतैय / मैथिली लोकगीत
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:43, 10 अगस्त 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=मैथिली |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह=सलहे...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
हाय नारायण जुलुम बीतैय
कखनी संझा बेर जे हेतै
साँझ पड़लै डाकू चुहर के
छौड़ी नटिनियाँ भागि तऽ गेलै
सबे समान सिरकीमे लऽ गयलै
तबे नटिनियाँ दादा के कहैय
पहरा केलऽ चन्द्रा कोहबर
सबे समान चन्द्रा के देखलऽ
से गिनिये गिनिये समानमा स्वामी
देखि लिअ यै
एकोटा समान स्वामी छुटि जे जयतै
बात कुल्हेसर नइ जे मानतै
एत्ते जवाब नटिनियाँ दैये
सबे समान दादा सलहेस देखैय
देख-देख के मोटा बन्हैय
मोटा बान्हिके सिरकी रखैय हौ।।