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तिरिया चलितर देवो नै जनलकै / मैथिली लोकगीत

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मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

तिरिया चलितर देवो नै जनलकै
माता बागमे नटिनियाँ ठकैय
बदियल बेटा हौ भरम नइ रखैय
डाकू चुहर सिरकी तरमे
पटिआ पर चुहरा सुति रहलै
तखनी मलिनियाँ देवी दुर्गा के सुमिरन केलकै।
प्रगट भऽ गेल देवी दुर्गा
सिरकी तरमे दरशन दैये
केना के चोरबा पकड़ल जेतै
हमर मदतिया दुर्गा कऽ दैये
चुहरा सुति गेल सिरकी तरमे
एके हाथ सेवा अपने करियौ
मारबै जादू चाँड़ चुहर के
हमरा सतवा आय योगिनियाँ मैा बचा दियौ यै।
एत्ते बात मैया दुर्गा सोचै छै
दुर्गा मैया चुहरमे भिड़लै
कात-करोट से सती मलीनियाँ
उनटा जादू जूड़ा खोपा खोलैय
लटे लट से जादू निकालै
उनटा जादू चुहर के मारैय
जादू भेरा चुहरा के भेलै
देवता कान से जड़ी खींचैय
सुग्गापन देवता के छुटलै
तबे जवाब नटिनियाँ दै छै
सुनऽ सुन हय स्वामी नरूपिया
तोरा कहै छिअ दिल के वार्त्ता
सात दिन के हफ्ता लेलियै
तीन दिन स्वामी बीतलै
कसि कसि बान्ह चुहरा के बन्हियौ
मनचित राम भैंसा पर लधियौ
सिरका सिरकी मूर्गा-मूर्गी
सबे समान स्वामी अहाँ लाधि लियौ यै।
एतबे बचनियाँ दादा सुनैछै
कसि-कसि समान चुहर के बन्हैय
मनचितराम भैंसा पर लधैय
डेरा तोड़ल फूल बगिया से
भागल नटिनियाँ पकरिया के चलि देलकै यौ।
भागल नटिनियाँ पकरिया के चललै
घड़ी चलै छै पहर बीतै छै
घाट सिमरिया नटिनियाँ जुमि गेल
हौ मने गंगा सोचै छै
जुलुम बीतै छै हौ ईश्वर जी
डाकू चुहरा बान्हल गेलै
पकड़ल गेलै मोकमागढ़मे
जखने जेतै राज पकरिया
नाम हँसी गंगा हेतै
केना अय चुहरा मोकमा से जयतै यौ।