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तबे जवाब मलीनियाँ दै छै / मैथिली लोकगीत

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मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

तबे जवाब मलीनियाँ दै छै
सुनऽ सुनऽ हौ राजा दरबी
तोरा कहै छी दिल के वार्त्ता
हौ कोरा कागज यौ बाबू निकालियौ
अऊँठा छाप राजा हे लेलऽ
कोरा कागज ड्योढ़ीमे फाड़ियौ
चोर-मोट हाजिर कऽ लियौ
सबटी समान बाबू अपन अहाँ लऽ लियौ हौ।
सबटी समान हाजिर कऽ लेलकै
कोरा कागज राजा फाड़ै छै
अपना हाथ से कागज फाड़ै छै
छौड़ी मलीनियाँ छुटकारा भऽ गेल।
दादा सलहेस केश खारिज भेलै।
ड्योढ़ी पर से नरूपिया चललै
मनचित भैंसा राजा के छोड़बै
सबे समान नटवा के छेलै
छोड़ी मलीनियाँ मोटा बन्हैय
सिरका सिरकी खंता-खंती
दादा सलहेस के मार टहबैय
जतरा दादा नटवा लग चलि देलकै यौ।
जतरा नटिनियाँ ड्योढ़ी से चलैये
नींद के मातल डाकू चुहरा
उठि के चुहरा ड्योढ़ी बैठैये
मने मन चुहरा सोचैय
छेलीयै यौ राज मोकमागढ़मे
केना एलीयै पकरियागढ़मे
झूकि सलाम चुहरा राजा के करै छै यौ।।
फेर चुहरा के नौकरी रखै छै
दादा सलहेस नौकरी खारिज भेलै
छौड़ी नटिनियाँ भागल जाइ छै
मैनाडीह नटिनियाँ जुमि गेल
सुतले नटबा परती पर छेलै
फेरो मलीनियाँ सिरकी तनै छै
तब नटबा के मलीनियाँ जगाबै छै
सुनऽ सुनऽ भैया नटबा
बिपैत पड़ि गेल छौड़ी मालीन के
हम नै छीयै नटिनियाँ बेटी
राज मोरंग घर लगै छै
हिनपति मालि के बेटी छीयै
स्वामी हमर बान्हल छेलै
तहि के कारनमा नटिनियाँ भेष धेने छेलीयै यौ।।
चोर पकड़ै ले नटबा
सिरका-सिरकी लगेलीयै
अपन सिरका-सिरकी लीयौ हौ।
छौड़ी नटिनियाँ सिरका-सिरकी
नटबा के हाजिर कऽ ने देलकै
तब जवाब मलीनियाँ दै छै
सुनऽ सुनऽ हे स्वामी नरूपिया
दिल के वार्त्ता तोरा कहै छी
चल चल स्वामी राज महिसौथा
भागल देवता आय महिसौथा के चलि देलकै यौ।
सती मलीनियाँ सबसे तरैलै
बामा भागमे पूजा देलकै
राज महिसौथा गादी परमे यौ।।