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तब जवाब मलीनियाँ दै छै / मैथिली लोकगीत

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मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

तब जवाब मलीनियाँ दै छै
सुन ले हौ बाबा बुढ़वा पंडित
तोरा कहै छी दिल के वार्त्ता
दादा नरूपिया के बटिआ जोहै छी
हा पाँच बहिनियाँ मलीनियाँ छियै
कखनी स्वामी हौदा पर अऔतै
स्वामी दरशनमा पोखरिमे करबै यौ।।
एत्तेक बात नरूपिया देतवा सुनै छै
छगुन छगुन मन देवता के करैय।
तबे जवाब नरूपिया दै छै
गै देवता नरूपिया महिसौथामे बैठल छै
हम गे जाति बराहमन छियै
पूजा करबैलय हमहुँ जाइ छी
आ कनिके घाट हमरा तू छोड़ि दही गे
घाट छोड़ि के मलीनियाँ बैठलै
हा श्री सतबरता मने मन सोचै छी
देखली सुरतिया मालीन छौड़ी के
देखली सुरतिया मालीन के
लोटा पितरिया महार पर रखलऽ
हाथ कऽ पथरा-पोथी रखै छै
तबे पैरु स्नान देवता करैय
धोती फेर नरूपिया करै छै
पितरिया लोटा लेलकै
दहिने हाथे पोथी उठौलकै
पछिम रूख के रास्ता नरूपिया धऽ लेलकै यौ।
घड़ी चललै पहरिया बीतलै
जहदीबागमे देवता जुमै छै
चुनि चुनि के फूल देवता चुनैय
औनी पथारी मलीनियाँ करैय
भागल जाइ छै राज महिसौथा
बटिआ जोहैते जखनी रहि गेलै यौ।
तब नाम मालीन दुर्गा के लै छै
लछ लछ गारि मालीनियाँ दै छै
बेर चढ़ि देवता के गयलै
सुन गे कुटनी गै दुर्गा मैया
केना ठकलही गे महुरा बोनमे
स्वामी नै एलै मानिकदहमे
बेर पुजै देवता के भऽ गेल
कथी के कारण हमरा तू ठकि लेले गै।
एत्तेक बात आइ मालीन सब बोलै छै
परगट दुर्गा मानिकदह भेलै
लछ लछ गारि मालीन के दै छै
सुन गे मलीनियाँ दिल के वार्त्ता
गै पूर्व जनममे भगतिमे चुकलै
स्वामी एलौं मानिकदहमे
कहै छी मन हम डाक लड़ै छी
बात-बातमे देवता ठकलकौ
बुढ़वा पंडित बनि के एलै
ओएह नरूपिया देवता छेलौ
जो जो बेइमनवी कपार तोरा जड़ि गेलौ गै।।