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घुंजु मुंहं में अखियुनि में हमदर्दी! / अर्जुन हासिद

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घुंजु मुंहं में अखियुनि में हमदर्दी!
गॾिबा आहियूं फिको-फिको मुरिकी!

रिश्तो वहिंवार, छा नथो ख़ल्के,
हिक घड़ी अहिड़ी तो ऐं मूं माणी!

सोच मन तां छंडे सघां जेकर,
ॻाल्हि हर हर ॾंगे वञे तुंहिंजी!

जोड़े टोड़े सघणु त सवलो पर,
हेॾी उणि-तुणि ऐं हेॾी बेचैनी!

रिहंड़ अहिड़ो त मनु ॾुखोयो हो,
तूं बि जाॻिएं न मूं ई निंड कई!

वहम दिल में अञा बि सो हासिद,
साॻी साइत मतां अचे मोटी!