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शहर मुंहिंजो सुञो-सुञो केॾो! / अर्जुन हासिद

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शहर मुंहिंजो सुञो-सुञो केॾो!
को ॿुधण में नथो अचे सुॾिको!

चुप हवा ऐं फ़िज़ा बणी गूंगी,
को छुरो केॾो तेज़ चमके थो!

चीख़ निरघट मां कीन थी निकरे,
थींदी नाहक़ शिकार गोलीअ जो!

दूंहों दूंहों दरियूं ऐं दरवाजा,
घर जी चाऊंठि ते रत जो फूहारो!

मन ते कावड़ि जो अत ई कोन्हे,
वाइडो, मोॻो, पाण में पूरो!

उमिरि-भर जंहिं दुआ घुरी हासिद,
अॼु लॻे छाखूं जानवर जहिड़ो!