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खोली देवा खोली देवा, ए दौड़ पड़दा
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♦ रचनाकार: अज्ञात
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वर-पक्ष की ओर से-
खोली देवा खोली देवा, ए दौड़ पड़दा<ref>पर्दा</ref>
देखू मैं कन्या को रूप।
कन्या पक्ष का उत्तर-
हमारी कन्या छ गौरी स्वरूप, तुमारो बन्दड़ा श्याम स्वरूप।
केन होय केन होय श्याम स्वरूप,
बन्दड़ा पर लगे जेठ की धूप।
वर-पक्ष की ओर से-
खोली देवा खोली देवा, ए दौड़ पड़दा,
देखूँ मैं कन्या को रूप।
कन्या पक्ष का उत्तर-
हमारी कन्या छ सावित्री स्वरूप,
तुमारो बन्दड़ा, चमार सी कालो।
बन्दड़ा पर लगे, जेठ की धूप।
शब्दार्थ
<references/>