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उनके शब्द / रमेश रंजक

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लेन-देन वाले दिमाग से
क्या निकलेंगे गीत आग से।

चेहरे पर जितनी चिकनाई
उतनी आँखों में कुटिलाई
कुटिल नजर में वह खटास है
आए हों आम के बाग से।

जिनकी नहीं आत्मा निर्मल
उनके शब्द रह गए दुर्बल
बोलो कहाँ निकल पाएगी?
कोयल की आवाज़, काग से।