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नींद भर सोने दो / आरती मिश्रा
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न जाने कितने जन्मों से उनींदी हैं
उसकी बोझिल आँखें
घूरती दीवार
उसमें सुराख बना देंगी
कुछ भी यथावत नहीं बचेगा
आग लगा देंगी
ख़्वाबों में
खिलखिलाहट में
पानी में भी
सावधान !
उसे नींद भर सोने दो