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हाकिम के बोली / सुधीर कुमार 'प्रोग्रामर'
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हाकिम के बोली-चाली मेॅ छाली छै।
हुनको काजू किसमिस भरलाॅे थाली छै।
दुनिया के ठोरोॅ पर पपड़ी छै लेकिन
हुनको ठोरोॅ पर देखोॅ तेॅ लाली छै।
ननदोसी के साथें चलली नयकी तेॅ
रस्ता-पैरा बाजै कत्ते ताली छै।
मोका देखी के गोबर थपियाबोॅ नी
देखोॅ तेॅ बगलोॅ मेॅ गहिड़ो नाली छै।
हुनको बूतरू छेना चोभै गारी केॅ
हमरोॅ बुतरू कॅे मुॅह मेॅ की जाली छै।