भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बेंग आषाढ़ी / सुधीर कुमार 'प्रोग्रामर'

Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:36, 16 सितम्बर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुधीर कुमार 'प्रोग्रामर' |अनुवादक...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

झरिया केॅ बोलाबै छै यहाँ बेंग आषाढ़ी।
बुतरू सेॅ लोलाबै छै यहाँ बेंग आषाढ़ी।

केना केॅ टपकतै भला खेती लेॅ जे पानी
बादल सेॅ मोलाबै छै यहाँ बेंग आषाढ़ी।

ढक-ढक करै केबाड़ी फोका कभी फूटी
मौसम सेॅेॅ खोलाबै छै यहाँ बेंग आषाढ़ी।

भरलै दरार खेत केॅ, पोखरी मेॅ संघरलै
साँपोॅ सेॅ झोलाबै छै यहाँ बेंग आषाढ़ी।

डुबकी लगाबै आर तेॅ उ पार मेॅ निकलै
पानी केॅ डोलाबै छै यहाँ बेंग आषाढ़ी।