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तब भी तो / राकेश रंजन
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तुम मेरी हो भी जाओ
तब भी तो
होंगे ये दुख और ये जुल्मोसितम
ठह-ठह हँसेगा असत्य
नाचेगी नंगी दरिन्दगी
होगी ज़माने की भूख
दर्द से फटेगा कलेजा
रात भर न आएगी नींद
आएगी शर्म अपने सोने पर
तुम मेरी हो भी जाओ
तब भी तो
आएगी शर्म अपने होने पर!