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जागोॅ मुसाफिर / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
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भोर भेलै अबेॅ जागोॅ मुसाफिर
राम नाम तोंय सुमरोॅ मुसाफिर
सुतिये सुती तोंय रात बितैल्हेॅ
परभु चरणों में लोगोॅ मुसाफिर
सांस-सांस जपोॅ नाम के माला
करमों के धुवोॅ दागोॅ मुसाफिर
मौका चुकला पर मन पछतैथौं
गुरू सेॅ नेह तोंय करोॅ मुसाफिर
सगा संबंधी काम नै ऐत्हौं
‘राम’ विचारवान बनोॅ मुसाफिर।