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भावोॅ के भुखलोॅ हम्में छी / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'

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भावोॅ के भुखलोॅ हम्में छी भावे एक सार छै
भावोॅ सें हमरा भजेॅ तेॅ भावोॅ सेॅ बेड़ा पार छै

भाव बिना जों कोय पुकारेॅ हम्में ऊ नै सुनै छी
भाव भक्ति के टेर सुनी केॅ भगवन लाचार होय छै

भाव बिना जों सब कुछ दीयेॅ हम्में कहियोॅ ने लै छौं
हमरोॅ वश में जो हाय जाय, तेॅ यहेॅ हमरोॅ सत्कार छै

हमरा में जे भाव रखी केॅ आवै छै हमरोॅ शरण
वोकरोॅ आरो हमरोॅ हिरदय के रहतौं एक्के तार छै

जोन जनों में भाव नै छै वोकरोॅ हमरा चिंता नै
भाव वाला भक्तों के भरपूर हमरा पर भार छै

बांधी लै छै भक्तें हमरा परेम के जंजीर में
यही वास्तें हमरोॅ होय छै यै भूमि पर अवतार छै।