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वोकरा की समझावै छोॅ / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'

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वोकरा की समझावै छोॅ
आपनोॅ हाल छिपावै छोॅ

केकरो कहना मानोॅ नै
पीछू तोंय पछतावै छोॅ

खूब पियोॅ देशी-विदेशी
बेहोश हो बतियावै छोॅ

तोरा घोर वाली कहै छौं
उलटे धौंस जमावै छोॅ

गल्ली-कुच्ची खूब घुमै छोॅ
घरे-घोॅर छुछुआवै छोॅ

दिन भर हिन्नें-हुन्नें घुमोॅ
खाय घड़ी घोॅर आवै छोॅ

‘राम’ के कहलोॅ राखि लेॅ
सबकेॅ तोंय शरमावै छोॅ।