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सुती गेलै सदभावना की करौं / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
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सुती गेलै सदभावना की करौं
मिठी गेलैं संभावना की करौं।
शांत समुद्र में हम्में छी अशांत
जगी रहलोॅ छै वासना की करौं।
सत्य के दीया तेॅ बुझै पर छै
झूठ के बयार बहाना की करौं
जगत के रचै वाला कानै छै
कानै छै सब दीवाना की करौं
‘राम’ बहै करूणा धार भूमि पर
गीता ऐसनों सुनाना की करौं।