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कुरुखेत्र / सुन्दरी उत्तमचन्दाणी

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आज़ादीअ जे जंग जा (कुरुखेत्र)
के थोरा त नाहिनि!
मुल्क लाइ धारियनि खां आज़ादी...
रोटी रोज़गार जे ॻणतियुनि खां आज़ादी...
मुदे खारिज बं/धननि खां आज़ादी...
ऐं आज़ादी खपे अविश्वास खां!
जीअं प्यार ऐं पंहिंजायुनि जे
दिलकश वादियुनि में, आज़ाद फ़िज़ा में-
पसारु करे सघिजे।
मगर
मुल्ह महांगी आज़ादी,
इएं त मिलिणी नाहे।
हर सुख जी क़ीमत
चुकाइणी पवन्दी आहे
दुनिया जे दुकान में...!
तॾहिं मन लड़ी झॻिड़ी क़ीमत चुकाइ।
लड़ाकू थी पउ...
ता क़यामत...
छो त
आज़ादीअ जे युद्ध जा
कुरुखेत्र थोरा त नाहिनि!