भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

इंसान ऐं ईशवरु / अर्जुन मीरचंदाणी 'शाद'

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:10, 24 सितम्बर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अर्जुन मीरचंदाणी 'शाद' |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ख़ुदा ख़ुदा क़िस्मत जे कै़द में क़ाबू आहे
पोइ ही
इनसान जी क़िस्मत खे़
कीअं थो मटाए सघे?
इनसान खे आईन्दे जी ख़बर कान्हे
इन करे हू
जद्दोजहद कन्दो रहे थो
ईश्वर इनसान जे आईन्दे खां
अॻु में ई वाकिफ़ आहे
पर उन खे फेराए नथो सघे।
इन करे हू बेवस आहे;
इनसान खे ॼाण आहे
त हू बि
क़िस्मत जे कै़द में काबू आहे
पर तॾहिं बि
हू मुक़ाबलो कन्दो रहे थो
इहा हक़ीक़त
इनसान खे ख़ुदा खां
वधीक ताक़तवरु बणाए थी!