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गेलै शरद अइलै हेमंत / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
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(1)
गेलै शरद अइलै हेमंत
सब्भै के मनों, में छैलै हेमंत
अगहन पूस दू मासे हेमंत
श्रीराम जी के पियारोॅ हेमंत।
(2)
रब्बी फसल खेतोॅ में लहलहावै छै
आगिन ते सबकेॅ पिरियोॅ लागै छै
धूप सबके मनों के भावै छै
पाला सें पेड़ ठूँठ बनिये जाय छै।
(3)
कमल दल भी गली गेलोॅ छै
कुहासाच्छादित सूरज चंद्र रंड्. लागै छै
ओस भींगलोॅ घास किरणोॅ सेॅ शोभै छै
शरद पछुआ हवा वेगोॅ सें बहै छै
(4)
बच्चा बुतरू केॅ राखोॅ झांपी
बुढ़हौ जवानोॅ केॅ नहियें बांकी
एक माह रितु आमुवेॅ दौड़ेॅ छै
हेमंतोॅ केॅ शिशरें पिछुवैने आवै छै।