भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गुरूवर हमरा सें नेहिया / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:02, 24 सितम्बर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ' |अनुवा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
गुरूवर हमरा सें नेहिया लगैभी कहिया
हो लगैभौ कहिया।
भक्त प्रह्लाद सनी केॅ तोंय बचैल्हौ
विदुरानी मन छिलका खैल्हौ
जूठोॅ बेरोॅ के भोग लगैल्हौ
हमरा दीन पर नजरिया फेरभौ कहिया।
पापी में नामी पापी छी
अवगुणोॅ सें भरलोॅ भी छी
गियान-धियान नैं जानै हम छी
भक्ति में भरमैलोॅ भी छी
अरे अंधरा भक्तोॅ के सुधि लेभौ कहिया।
जनम-जनम सें भटकत रहलौं
कहियो मौका नहिंये पैलौं
यहो जनम के सफल करी लौं
गुरु-चरण में जाय केॅ गिरी लौं
हमरोॅ भव के बंधन काटवौ कहिया।