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युद्ध / शिवनारायण / अमरेन्द्र

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आदमी के नामोॅ पर
आदमी के सत्ता लेली
आदमी के घोॅर सिनी रौंदी
आदमी केॅ मारवोॅ
की छेकै?
यहा तेॅ युद्ध छेकै।

युद्ध में सब बात जायज छै
ऊ सब्भे बात, जे नाजायज छै
कोय्यो आम आदमी लेॅ
कोय्यो मुलुक में।
मतर युद्ध के निर्णय हमरासिनी नै लै छी
हम्में यानी दुनियाँ के कोय्यो आदमी
जे कोनो सरकार में नै छै;
निर्णय लै छै वैं सिनी
जे हमरे खुशहाली वास्तें
हमरे आजादी के नामोॅ पर
हमरा सें जबरन मत लै छै
आकि फेनू
हमरा अच्छा शासन दै के नामोॅ पर
जबरन सत्तासीन होय जाय छै

ऊ सिनी
हौं, ऊ सिनी
जेकरा सिनी केॅ हम्में सब दै रखलेॅ छियै
सेथरोॅ अधिकार
वही सिनी लै निर्णय
एक खूनी खेल के बंदोबस्ती लेॅ
आरो एकरोॅ बाद कुछुवो नै हुऐ छै।

धरती सें उठतें
धुआँ के करिया मेघो में ढकलोॅ
अनपट्टोॅ आदमी रोॅ चीख-पुकार
ओकरे सिनी के पतित परिश्रम के फोॅल छेकै
घरोॅ के मलवा
परत पर परत जमतें
आदमी सिनी के लहू
आरो हवा में गूंजतें
मौत रोॅ वारण्ट
बस यहा सब बची जाय छै
हुऐ तेॅ कुछुवोॅ नै छै।

जबेॅ आम जग्घोॅ में
ई सब होतें रहै छै
वहीं सुरक्षित घरोॅ में
नक्शा पर निशान लगतें रहै छै
जे कि बतावै छै
ओकरोॅ सत्ता के कत्तेॅ भाग ऐलै
आकि मिललै।
मानवता चीखतें रहै छै
मतर ओकरोॅ चीख
ऊ बहसी ठहाका केरोॅ सम्मुख
बेबस पड़ी जाय छै।

नै मालूम
ऊ दिन कहिया ऐतै
जबेॅ एक आदमी
हौं, एक्को आदमी के
स्वतंत्रा मूल्य स्थापित हुएॅ पारतै।