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असीं सभु / अनन्द खेमाणी

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असीं सभु
पंहिंजियुनि पंहिंजियुनि पार्वतियुनि जा
शिव भॻवान आहियूं
जे ज़िन्दगीअ जे ज़हर खे
पी रहिया आहियूं
(जेकॾहिं कंहिं वटि पार्वती न आहे
त बि को फ़र्कु न पवन्दो)