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विसरे छॾि / कला प्रकाश
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विसारे छॾि
सभु जेकी सिखियो आहीं
मेसारे छॾि
ज़हन मां सभु
सिख्याउनि ॾाढो मुंझायो आहे
आदर्शनि बेहद अटिकायो आहे
उसूलनि अहिंजायो आहे जीवनु।
आजो थी वञु
समूरी सोच खां
समूरीअ सियाणप खां
नएं ॼावल ॿार जियां
बणिजी वञु तूं
ऊंआं ऊंआं करि
त मन का अमड़ि अची
थञु पीआरेई,
मिठिड़ी निंड कराएई!
विसारे छॾि...