भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मां उन्हनि बदनसीबनि मां आहियां / ब्रज मोहन
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:40, 1 अक्टूबर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ब्रज मोहन |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatSindhi...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
जे अञा बुडतर में आहिनि।
जीअण खे रैशनलाईज करण लाइ
बाईलॉजी-सोशालॉजी
जो सहारो पियो वठां।