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ॻाल्हि समझ में कान आई आ / श्रीकान्त 'सदफ़'
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एतिरी ऊचाईअ ते रहियो आँ तूं
एतिरो उताहों जितां शख़्स तो खे
मिटीअ जो ज़रो नज़र अचे
हीउ जो मां हर वक़्ति
हर घड़ीअ
तो खे नज़र आयो आहियाँ
ऐं चिटो नज़र आयो आहियाँ
पंहिंजे मुकमल क़छ सां
नज़र आयो आहियाँ।
इहो वरी कीअं!!