भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मुंहिंजी ज़िन्दगी उहा चिठी आहे / श्रीकान्त 'सदफ़'
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:35, 1 अक्टूबर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्रीकान्त 'सदफ़' |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
मुंहिंजी ज़िंदगी उहा चिठी आहे
जंहिं में जुवान पुट जे
मौत जी ख़बर ॾिनल आहे
ऐं, मां उहा बुढिड़ी माउ आहियां
जंहिं खे इहा चिठी
हर कंहिं ग़लत पढ़ी बुधाई आहे