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मुंहिंजी ज़िन्दगी उहा चिठी आहे / श्रीकान्त 'सदफ़'

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मुंहिंजी ज़िंदगी उहा चिठी आहे
जंहिं में जुवान पुट जे
मौत जी ख़बर ॾिनल आहे
ऐं, मां उहा बुढिड़ी माउ आहियां
जंहिं खे इहा चिठी
हर कंहिं ग़लत पढ़ी बुधाई आहे