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याद जो अॼु चिराग़ु फथिके थो / एम. कमल

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याद जो अॼु चिराग़ु फथिके थो।
हर छुटल फट जो दागु़ फथिके थो॥

लुड़िक में आस जी लुछे थी शमा।
चुपि में चुपि जो चिरागु़ फथिके थो॥

वरी खु़द खां नईं तक़ाज़ा थमि।
वरी दिल ऐं दिमागु़ फथिके थो।

कहिड़ी रुति आहे, गुल खिलिया कहिड़ा!
बाहि में भव जे बागु़ फथिके थो॥

साह जी लाट जेसीं आहे कमल।
ख़वाहिशुनि जो चिरागु फथिके थो॥