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ज्वाला / अर्जुन ‘शाद’

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मुंहिंजे हर शइर जो हर लफ़्जु
बणी बाहि जो ॼणु गोलो थो ॿाहिर निकरे-
दिल में मज़्लूम जे, ॿियो बाहि बिना छा हूंदो?
बाहि मां बाहि जी सूरत ठहन्दी,
न कॾहिं माक जा क़तरा ठहन्दा।

हीअ उहा बाहि आ
खु़द जंहिं खे समंदर बि मिले
कीन विसाइण जो को साहस रखंदा:
छो त ही नाहे फ़क़्त मुंहिंजे ई दिल जो ज्वाला
हिन में शामिल आ हज़ारनि ऐं लखनि जी आतशे
ही ज़माने जो ज्वाला आहे।