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धर्म एं मज़हब / अर्जुन ‘शाद’
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काश
इनसाननि जे विच में
फ/कत इश्क जो ई तसव्वुर हुजे;
धर्म एं मज़हब
माउ ऐं पीउ जी सज़ा आहे
जेका हू
ॿार खे कंहिं बि गुनाह बिना
जनम खां अॻु ई ॾेई था छॾीनि!