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भौंरो / अर्जुन ‘शाद’

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हुन जे अखियुनि जो ख़ुमारु
ऐं सीने जो उभारु
कंहिं वटि वारनि जो विंगु
मुरिकंदडु मुखड़ो
कंहिं रंगीन ॻाल्हि ते
छिरक भरीअ मुरिक सां गॾु
ॻाढ़े रंग जो ॻिलनि ते भिड़ी अचणु
ऐं मुहिंजे नज़रुनि जे भौंरे जो
उन खे चुहिटी पवणु!