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रस भरियूं रातियूं / अर्जुन ‘शाद’

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उहे रस भरियूं रातियूं याद करे
सौ सौ सुॾिका थो साहु भरे!

बियो हिरदो मुंहिंजो होतु खसे
मुंहिंजे अखियुनि मां अरमान बसे
मूंखे विरह कयो ॾाढो व्याकुल
मुंहिंजा प्रीतम मूंखां थीउ न परे
सौ सौ सुॾिका थो साहु भरे!

छा कौल कयल बि विसारे छॾियइ
उहे प्रेम जूं बातियूं वारे छॾियइ
मूंसां अहिड़ो तूं अन्याउ न करि
मुंहिंजी तो बिन साजनि कीन सरे
सौ सौ सुॾका थो साहु भरे!