भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बाबू बणियो अफ़्सर / हरूमल सदारंगाणी ‘ख़ादिम’

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:30, 8 अक्टूबर 2016 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

इज़ाफ़ो
मिलियो
हा
इज़ाफ़ो मिलियो
पर
चङो देर सां...
चार महिना रखी-
मथां
वीह पैसनि जी टिकलीअ जो ॾंडु
-भरिणो पियो
ऐं
ॾिनो
हर ॼणे।

हज़ारनि में रुपया
कट्ठा थी विया
हिक ई धक सां
रेह गुनाह
बे वजह।
मगर
ही न आहे
अकेलो मिसाल
हज़ारनि में
हरसाल
सरकार खे
खटाईंदो आ
इन तरह
खै़र ख़्वाह
इझो ॼाणु बाबू बि अफ़्सर बणियो।