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माठि / हरूमल सदारंगाणी ‘ख़ादिम’

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मूं
हिन ॾे ॾिठो
हुन ॾे ॾिठो
सभ ॾे ॾिठो।

मूं
हिन खे ॿुधो
हुन खे ॿुधो
सभ खे ॿुधो।

अहिड़ी थी लॻे माठि
न उकिले थी ज़बान
चाहियां थो चवणु
खू़ब चवणु
सभ खे सॼाइणु मुंहं ते

पर
इअं थो लॻे
शायद
चई कुझन सघां।