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ॿिपेरो / हरूमल सदारंगाणी ‘ख़ादिम’

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संगीत
कला
साहित
न कनि जंहिं ते असर
इन्सान ई कहिड़ो सो!
काटे थो
हयाती
किअं?

मूंखां जे पुछो
आहि
ॿिपेरो हैवान
सिङ
पुछु
न अथसि
चरे न थो गाहु ऐं पन।