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मुंहिंजी मञु / हरूमल सदारंगाणी ‘ख़ादिम’
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मन खे खोलि
ॾे ड़वाॻ
गुज़रियल यादगीरियूं कढु
ओरे आउ
खिन-पल वेहु
झेड़ो छॾि
पंहिंजे भाॻ ऐं आयूअ ॾे ॾिसु
पाछा छांव भुलिजी वञु
खणु धीरे कदम
दम लइ बीहु।
खिम्या करि, विसारे छॾि
झुनी ॻाल्हि
कावड़ि, वेरु
तलख़ी, ताणु
दिल जा ख़ौफ़
वहमीं भूत
करि सभ खे सलाम
वणंदड़ छा त आहे शाम!