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शेर गर्जना / हूँदराज दुखायल

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मुल्क ते हिन्दमाता जो झंडो क़ौमी झूलाईंदुसि,
वधायलु ज़ोर पापियुनि जो सकूरो मां घटाईंदुसि।

जॾहिं खाली हचारनि खां सॼी भूमि कराईंदुसि,
सुपात्र वीर माता जो तॾहिं बेशक चवाईंदुसि।

‘‘दुखायल’’ फर्जु माता जो तॾहिं सारो अदा थींदो,
जॾहिं आज़ादगीअ लइ जान बस हरिको ॿचो ॾींदो।