अग्नि परीक्षा / मीरा झा
वाल्मीकि आश्रमोॅ में सीता
कत्तेॅ अपमानित जिनगी जीतें होतै
कत्तेॅ लाज लागतें होतै? ई सोची केॅ
रोइयाँ ठड़ा भेॅ जाय छै।
लवकुश के जन्म भेला पेॅ
कत्तेॅ पछतैतें होतै?
सोनोॅ रंग राजकुमार
धरती, माटी पर खेलतें होतै।
जेकरा लेली सोना हिड़ोला रहै
राजमहल के सुख सुविधा रहै
ई बच्चाँ केकरोॅ की बिगाड़नें रहै।
जे ई सजा भोगै रहै।
हम्मूँ तेॅ अग्नि परीक्षा देनें रिहै
फनूं दोसरा के बातोॅ पेॅ
ई रंग के निष्कासन?
एक राजा केॅ नै शोभा दै छै?
हमरोॅ-हुनकोॅ की नाता-गोता छै
आम जनता वहू में जोॅर जनानी
की बुझतै? ओकारा पेॅ की प्रभाव पड़तै?
जे राजाँ करतै वहेॅ परजौं करतै
पत्नी सँगें वहेॅ बेहबार करतै
तहियै सें गोस्सा तामस में
जों कोय लड़की कंकरौकन रही जाय छै
फनूँ ओकरा, आपनोॅ घोॅर ढूकै में
आगिनिहौ सें बेसी परीक्षा
दै लेॅ पड़ै छै, कत्तेॅ केॅ तेॅ
जिनगी भर सुनै लेॅ पड़ै छै
कहाँ रहलै, केना रहलै, की ठेकानोॅ?
आय तक कोय पुरुषोॅ केॅ अग्नि-परीक्षा
नै दै लेॅ पडलोॅ छै? कैहने तेॅ
हुनी सब दिन पवित्रे रहै छै
अधर्मोॅ के सब दरबाजा खुल्ले रहै छै
आम जनताँ ई आवाज नै उठावै छै
जे ठीक रहै छै ओकर्है सें,
प्रमाण समाज्हैं खोजै छै
सीताँ सोचै छै, बेटी सिनि की सोचतें होतै?
अयोध्या के सभ्भे जनानी मरदाना
यै देश निकाल पर की कहतें होतै?
हिनका लेॅ सभ्भैं की कहतें होतै?
सब वै धोबी नाकी नहियें न होतै?
जे जैहनोॅ रहै छै लोग बुझथैं छै
जनताँ नै कहेॅ सकलकै हुनका
एना कैहनें करै छोॅ?
एत्तेॅ बडोॅ बेईज्जती हिनकोॅ
ई सवाल नारी जाति पर
आय ताँय लागले छै
उ तेॅ धन्य सीता महारानी जे
दोसरोॅ अग्नि परीक्षा में
धरती माय लग चल्ली गेलै
नै तबेॅ की होतिहै, हरदम-हरदम
परीक्षे देतें, जिनगी गुजरी जैतिहै
नारी सम्मान केॅ बहुत गौरव देलकी सीताँ
सोचोॅ!
कत्तेॅ दिनोॅ तक सीता धरती तरोॅ में रहती?
के जनक बनभेॅ, आगू आवोॅ
प्रश्न विचारणीय छै ई
उत्तर तोर्है देना छौ गे बेटी।