Last modified on 21 अक्टूबर 2016, at 03:53

मेरा चंदा / सपना मांगलिक

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:53, 21 अक्टूबर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सपना मांगलिक |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मेरे आँगन उतरा चंदा
सिमटा छोटे से बिछोने में
गोल गोल सी अँखियाँ
जिनमे सिमटी सारी दुनिया
संग उसके खेले बूढी काकी
ताई, चाची हो या मुनिया
कभी रोये कभी झट हंस जाए
इत् उत् उत् इत् गर्दन मटकाए
जीभ लपलपाए और किलकाये
मोह लिया है सबका ही मन
उस सुन्दर, चपल सलोने ने
मैंने भी तो अपना बचपन ढूंढा
उसके खेल खिलौने में
मेरे आँगन उतरा चंदा
सिमटा छोटे से बिछोने में
सुन ओ चंदा घर तू मेरा
रोशन ऐसे ही करता चल
जो तू रूठे इस घर से
आये कभी ना ऐसा पल
उठूँ तो पहले देखूं तुझको
सो जाऊँ तो सोचूँ सपने में
घर के साथ उधम करता फिरे तू
मेरे उर सूने सूने में