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शहर भागलपुर, मायागंज, कुप्पाघाट / छोटेलाल दास

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शहर भागलपुर, मायागंज, कुप्पाघाट।
हमरो छै गुरु-द्वार, भैया रे बटोहिया॥
स्वर्ग के समान जहाँ, आश्रम छै गंगातट।
देखिके बैराग जागै, भैया रे बटोहिया॥1॥
ऊँच-नीच भूमि पर, सुन्दर भवन सब।
भक्ति-भाव बिखराबै, भैया रे बटोहिया॥
गुरु के निवास गये, शीघ्र मन चैन पाबै।
गुरु-पद रति होबै, भैया रे बटोहिया॥2॥
समाधि-मंदिर जहाँ, गगन सें बात करै।
गुरु के प्रताप गाबै, भैया रे बटोहिया॥
निकट ही गंगा बहै, शीतल पवन बहै।
पेड़-पौधा मन मोहै, भैया रे बटोहिया॥3॥
चहचह पंछी करै, मीठ-मीठ बोली बोलै।
गुरु-गान करैं सब, भैया रे बटोहिया॥
गुफा-बीच ध्यान करि, सतगुरु मेँहीँ बाबा।
सिद्ध यहीं होलो छेलै, भैया रे बटोहिया॥4॥
ज्ञान के प्रचार करि, ‘लाल दास’ सतगुरु।
जगत प्रसिद्ध भेलै, भैया रे बटोहिया॥
गुरु-द्वार जाइ करि, रज-कण सिर धरि।
पुन्य तों बटोरि लीहें, भैया रे बटोहिया॥5॥